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मारा हैया विराजता आदिनाथ मारा हैये विराजता आदिनाथजी, जिनवरजी, महावीरजी जेना दर्शन करीने थयुं पावन आ मन जेना मुखडां ने जोई बन्यु जीवन आ धन्य मारा वीर रे प्रभु... हुं तो वीर प्रभुजीनी भक्ति रे करूं माझं जीवन आर्खा एना चरणे धरूं तारा मुखडांने जोई दादा नमन करुं, मारुं मोही लीधुं मन... हुं तो नाम रटण करुं घडी रे घडी हवे सांभळजो दादा मारे भीड रे पडी तारी आंखोमां जोई छे में प्रेमनी जडी, मारा तारणतरण... मारो आतम बन्यो छे आज बडभागी में तो हैया मेल्यां छे आज शणगारी तमे वहेला पधारो उरना आंगणीये... मारा वीर रे प्रभु.
शंखेश्वर का नाथ है हमारा... शंखेश्वर का नाथ है हमारा तुम्हारा...(२) इस तीरथ में जो भी आये मिले न जनम दुबारा... ..........
शंखेश्वर का.
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