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नेमिनाथ स्तुति
प्रचण्ड-मार-वारकं, कुदर्प-वार-दारकम् सुरेन्द्र-सेवितं सदा, शिवासुतं भजे मुदा. अनन्त-शर्म-दायकाः प्रशस्त - धर्म - नायकाः, अवद्य -भेदका इना, जयन्ति ते समे जिनाः. अनेक-ताप-नाशनं, कुवासना-विनाशनम् । सुपर्व-राज-संश्रुतं, स्तुवे जिनोदितं श्रुतम्. विशाल-लोचनाम्बिका, कजानना वराङ्गना । नताप्त-पत्कजा-चलां, श्रियं दधातु वोमलाम्. नेमिनाथ स्तुति
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सुर असुर वंदित पाय-पंकज, मयण - मल्ल-मक्षोभितं; घन सुघन श्याम शरीर सुंदर, शंख लंछन शोभितम्. शिवादेवि नंदन त्रिजग - वंदन, भविक कमल दिनेश्वरं ; गिरनार गिरिवर शिखर वंदु, श्री नेमिनाथ जिनेश्वरम्. अष्टापदे श्री आदि जिनवर, वीर पावापुरि वरु; वासुपुज्य चंपा नयर सिद्ध्या, नेमि रैवत गिरिवरु. सम्मेत शिखरे वीस जिनवर, मुक्ति पहोता मुनिवरु; चोवीस जिनवर नित्य वंदुं, सयल संघ सुहंकरु.....
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