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नामरूपनिर्मोहथी जिनवाणी जणावे, शांति आतममां खरी अनुभवथी आवे. मनने मारतां आत्ममां सत्य शांति स्वभावे, मन संसार ने मुक्ति छे समजे शिव थावे; आतममां मन ठारतां निज पास छे शांति, शासनदेवी सहायथी रहे नहि कोई भ्रान्ति.
__ शांतिनाथ स्तुति शांति सुहंकर साहिबो, संयम अवधारे; सुमित्रने घेर पारj, भव पार उतारे. विचरंता अवनीतले, तप उग्र विहारे; ज्ञान ध्यान एक तानथी, तिर्यंचने तारे. पास वीर वासुपूज्य ने, नेम मल्लिकुमारी; राज्य विहुणा ए थया, आपे व्रतधारी. शांतिनाथ प्रमुखा सवि, लही राज्य निवारी; मल्लि नेम परण्या नहि, बीजा घरबारी. कनक कमल पगलां ठवे, जग शांति करीजे; रयण सिंहासन बेसीने, भली देशना दीजे. योगावंचक प्राणीया, फल लेतां रीजे; पुष्करावर्तना मेघमां, मगसेल न भींजे.
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