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आत्मज्ञान ने सत्क्रिया, वडे श्रेयने साधो, श्रेयांस प्रभुनी पेठ सहु, पूर्ण श्रेयेज वाधो.
वासुपूज्य स्तुति आतम वासुपूज्य छे करो आविर्भावे, निश्चय नयदृष्टिबळे, ब्रह्मभावना दावे; वासुपूज्यना ध्यानथी, वासुपूज्यजी थावो, ध्यान समाधि एकता लीनताथी सुहावो.
श्री वासुपूज्य भगवाननी थोय विश्वना उपकारी, धर्मना आदिकारी, धर्मना दातारी, कामक्रोधादि वारी; तार्या नरनारी, दुःख दोहग हारी, वासुपूज्य निहारी, जाउं हुं नित्य वारी.
विमलनाथ भगवाननी थोय विमल जिन जुहारो, पाप संताप वारो, श्यामांब मल्हारो, विश्व कीर्ति विफारो, योजन विस्तारो, जास वाणी प्रसारो, गुणगण आधारो, पुण्यना ए प्रकारो.
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