________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
जेने माटे निशदिन रखडो, तजी धरमना नेम; पाप करो तो शिर पर बोजो, तो व्याजबी केम........रीझो.४ कोइ न लेशे भाग पापनो, धननो लेशे सर्व; परभव जातां साथ धर्मनो, साधो आ शुभ पर्व..........रीझो.५ संपीने समताए सुणजो, अट्ठाइ व्याख्यान; छट्ठ करजो श्री कल्पसूत्रनो, वार्षिक अट्ठम जाण. रीझो.६ निशीथ सूत्रनी चूर्णिमांहे, आलोचना वखणाय; खमीए होंशे सर्व जीवने, जीवन निर्मल थाय...........रीझो.७ उपकारी श्री प्रभुनी कीजे, पूजा अष्ट प्रकार; चैत्य जुहारो गुरु वंदीजे, आवश्यक बे काल...........रीझो.८ पौषध चोसठ प्रहरी करतां, जाये कर्म जंजाल; पद्म विजय समता रस झीले, धर्मे मंगलमाल. ....... रीझो.९
अष्टापद स्तवन अष्टापद गिरि सेवना, भवी भावथी पामे; अष्टकर्मने जीतीने, ठरे मुक्ति ठामे... अष्टापद० १ द्रव्यथी अष्टापद गिरि, भावे आतम पोते; आठ पगथियां योगनां, आरोहवां ज्योते. ......... अष्टापद० २
१९२
For Private And Personal Use Only