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दशेरा दीवाली ने वली होली वाला.., अखातीज दिवासो रे. बलेव प्रमुख बहुला छे बीजां, ए नहि मुक्तिनो वासो रे....... पजुसण.४ ते माटे तमे अमारी पलावो वाला.., अट्ठाइ महोत्सव कीजे रे. अट्ठम तप अधिकाइए करीने, नर भव लाहो लीजे रे. .... पजुसण.५ ढोल ददामा भेरी नफेरी वाला.., कल्पसूत्र ने जगावो रे. झांझरनो झमकार करीने,गोरीनी टोली मली आवो रे.पजुसण.६ सोना रूपाने फूलडे वधावो वाला.., कल्पसूत्र ने पूजो रे. नव वखाण विधिए सांभलतां, पाप मेवासी ध्रुज्यो रे. पजुसण.७ एम अट्ठाई महोत्सव करतां वाला.., बहु जगजन उद्धरिया रे. विबुध विमल वर सेवक नय कहे, नवनिधि ऋद्धि सिद्धि वर्या रे
पर्युषण पर्व स्तवन रीझो रीझो श्री वीर देखी, शासनना शिरताज; हरखो हरखो आ मोसम आवी, पर्व पर्युषणा आज....रीझो.१ प्रभुजी देवे पर्षदामांहे, उत्तम शिक्षा एम; आलसमां बहु काल गुमाव्यो, पर्व न साधो केम?.....रीझो.२ सोनानो रजकण संभाले, जेम सोनी एक चित्त; तेथी पण आ अवसर अधिको, करो आतम पवित्र. ... रीझो.३
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