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बहुकाळ आ संसार गारमां, प्रभु! हुं संचर्यो; थई पुण्यराशि एकठी, त्यारे जिनेश्वर तुं मळ्यो; पण पापकर्म भरेल में, सेवा सरस नव आदरी, शुभ योगने पाम्या छतां, में मूर्खता बहु ये करी.. ....४१ शत कोटी कोटी वार वंदन, नाथ मारा हे तने, हे तरण तारण नाथ तुं, स्वीकार मारा नमनने; हे नाथ शुं जादु भर्या, अरिहंत अक्षर चारमां, आफत बधी आशिष बने, तुज नाम लेता वारमां. ..........४२ प्रभु जेवो गणो तेवो, तथापि बाळ तारो छु, तने मारा जेवा लाखो, परंतु एक मारे तुं; नथी शक्ति नीरखवानी, नथी शक्ति परखवानी, नथी तुज ध्याननी लगनी, तथापि बाळ तारो छु............४३ सागर दयाना छो तमे, करुणा तणा भंडार छो, ने पतितोने तारनारा, विश्वना आधार छो; तारे भरोसे जीवननैया, आज में तरती मूकी, कोटी कोटी वंदन करूं, जिनराज तुज चरणे झूकी.......४४ आबु अष्टापद गिरनार, समेतशिखर शत्रुजय सार, ए पांचे तीरथ उत्तम ठाम, सिद्धि गया तेने करुं प्रणाम. .४५
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