________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
..........ओ.२
بة
بين
ة
من
अडसठ अक्षर घडीओ, चौद रतनसुं जडीओ;
__ श्रावकने चित्त चडीओ,............. अक्षर पंच रतन्न, जीवदया सुजतन्न;
जे पाले तेने धन्य, .................... नवपद नवसरो हार, नवपद जगमां सार;
नवपद दोहीलो आधार, ................ जे नर नारी जाणशे, ते सुख संपद लहेशे;
सेवकने सुख थाशे, ........................ओ.५ हीर विजयनी वाणी, सुणतां अमिय समाणी;
मोक्ष तणी निरसणी, .................ओ.६
नवपद स्तवन अहो भवि प्राणी रे सेवो, सिद्धचक्र ध्यान समो नहि मेवो; जे सिद्धचक्र आराधे, तेहनी कीरति जगमां वाधे........अहो.१ पहेले पदे रे अरिहंत, बीजे सिद्ध बुद्ध ध्यान महंत; त्रीजे पदे रे सूरीश्वर, चोथे उवज्झाय ने पांचमे मुनीश्वर.अहो.२ छठे दरिसण कीजे, सातमे ज्ञानथी शिवसुख लीजे; आठमे चारित्र पालो, नवमे तपथी मुक्ति भालो..........अहो.३
१७८
For Private And Personal Use Only