SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 187
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ..सिद्ध.२ कर जोडी सेवक गुणगावे, मोहन गुण मणि माल; भवि. तास शिष्य मुनि हेम कहे छे, जन्म मरण दुःख वार. . भवि.७ नवपद स्तवन सिद्धचक्रने भजीये रे, के भवियण भाव धरी; मद मानने तजीए रे, के कुमति दूर करी. पहेले पदे राजे रे, के अरिहंत श्वेत तनु; बीजे पदे छाजे रे, के सिद्ध प्रगट भj. ............ सिद्ध.१ त्रीजे पदे पीला रे, के आचार्य कहीए; चोथे पदे पाठक रे, के नील वर्ण लहीए................. पांचमे पदे साधु रे, के तप संयम शूरा; श्याम वर्णे सोहे रे, के दर्शन गुणे पुरा................... सिद्ध.३ दर्शन ज्ञान चारित्र रे, के तप संयम शुद्ध वरो; भवियण चित्त आणी रे, के हृदयमां ध्यान धरो. .......सिद्ध.४ सिद्धचक्रने ध्याने रे, के संकट सर्व टले; कहे गौतम वाणी रे, के अमृत पद मले................. सिद्ध.५ नवपद स्तवन चौद पूरवनो सार, मंत्र मांहे नवकार; जपतां जय जय कार, ओ सयरो हृदय धरो नवकार........१ १७७ For Private And Personal Use Only
SR No.008902
Book TitleJinandji Bhav Jal Par Utar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaratnasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2007
Total Pages292
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy