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चैत्री पूनम दिन कीजिए रे लाल, पूजा विविध प्रकार दिलधारी रे; फल प्रदक्षिणा काउस्सग्गा रे लाल, लोगस्स थुई नमुक्कार नरनारी रे.
. एक.४ दश वीश त्रीश चालीस भलां रे लाल, पचास पुष्पनी माल अति सारी रे; नरभव लाहो लीजिए रे लाल, जेम होय ज्ञान विशाल मनोहारी रे................... .एक.५
सिद्धाचल तीर्थ स्तवन शत्रुजय गढनो वासी, प्यारो लागे मोरा राजिंदा; इण रे डुंगरीयामां झीणी झीणी कोरणी,
उपर शिखर विराजे... मोरा.१ काने कुंडल माथे मुगट बिराजे, बाहे बाजुबंध छाजे.. मोरा.२ चोमुख बिंब अनुपम विराजे, अद्भुत दीठे दुःख भांजे. मोरा.३ चुआ चुआ चंदन और अगरजा, केशर तिलक बिराजे. ..... मोरा.४ इण गिरि साधु अनंता सिद्ध्या, कहेतां पार न आवे. मोरा.५ ज्ञान विमल प्रभु इणि परे बोले, आ भव पार उतारो. मोरा.६
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