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मारी कूखे आव्या तरण-तारण जहाज;
हुं तो पुण्य पनोती इंद्राणी थई आज... हालो. ३
मुझने दोहलो ऊपन्यो बेसुं गज अंबाडिये रे,
सिंहासन पर बेसुं चामर छत्र धराय;
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ए सहु लक्षण मुजने नन्दन तारा तेजनां रे,
ते दिन संभारुं ने आनंद अंग न माय. हालो . ४ करतल पगतल लक्षण एक हजार ने आठ छे रे,
तेहथी निश्चित जाण्या जिनवर श्री जगदीश; नंदन जमणी जंघे लंछन सिंह विराजतो रे,
में तो पहेले सपने दीठो विसवा वीश. हालो. ५ नंदन नवला बंधव नंदिवर्धनना तमे,
नंदन भोजाईओना देवर छो सुकुमाल; हसशे भोजाइओ कही दीयर माहरा लाडका रे, हसशे रमशे ने वली चुंटी खणशे गाल. हसशे रमशे ने वली दूंसा देशे गाल. .हालो.६
नंदन नवला चेडा राजाना भाणेज छो,
नंदन नवली पांचसें मामीना भाणेज छो;
नंदन मामलियाना भाणेजा सुकुमाल,
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