SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 121
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धन्य तुं आतम जेहने, एहवो प्रश्न अवकाश रे; धीरज मन धरी सांभळो, कहुं शांति प्रतिभास रे ... शांति० २ भाव अविशुद्ध सुविशुद्ध जे, कह्या जिनवर देव रे; ते तिम अवितथ सद्दहे, प्रथम ए शांति पद सेव रे शांति० ३ आगमधर गुरु समकिती, क्रिया संवर सार रे; संप्रदायी अवंचक सदा, शुचि अनुभवधार रे......... शांति० ४ शुद्ध अवलंबन आदरे, तजी अवर जंजाळ रे; तामसी वृत्ति सवि परिहरी; भजे सात्त्विकी साल रे शांति० ५ फळ विसंवाद जेहमां नहीं, शब्द ते अर्थ संबंधी रे; सकळ नयवाद व्यापी रह्यो, ते शिव साधन संधीरे शांति०६ विधि प्रतिषेध करी आतमा, पदारथ अविरोध रे; ग्रहणविधि महाजने परिग्रह्यो, इस्यो आगमे बोध रे शांति० ७ दुष्टजन संगति परिहरी, भजे सुगुरु संतान रे; जोग सार्मथ्य चित्त भाव जे, धरे मुगति निदान रे.. शांति० ८ मान अपमान चित्त सम गणे, सम गणे कनक पाषाण रे; वंदक निंदक सम गणे, इस्यो होय तुं जाण रे ..... शांति० ९ सर्व जगजंतुने सम गणे, सम गणे तृण मणि भाव रे; मुगति संसार बिहु सम गणे,मुणे भवजलनिधिनाव रे शांति० १० १११ For Private And Personal Use Only
SR No.008902
Book TitleJinandji Bhav Jal Par Utar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaratnasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2007
Total Pages292
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy