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वचन निरपेक्ष व्यवहार झूठो कह्यो, वचन सापेक्ष व्यवहार साचो. वचन निरपेक्ष व्यवहार संसार फल, सांभली आदरी कांइ राचो.
धार.४. देव गुरु धर्मनी शुद्धि कहो केम रहे, केम रहे शुद्ध श्रद्धान आणो. शुद्ध श्रद्धान विण सर्व किरिया करी, छार पर लींपणुं तेह जाणो.
धार.५. पाप नहिं कोइ उत्सूत्र भाषण जिस्यो, धर्म नहीं कोइ जग सूत्र सरिखो. सूत्र अनुसार जे भविक किरिया करे, तेहy शुद्ध चारित्र परिखो.
धार.६. एह उपदेशनो सार संक्षेपथी, जे नरा चित्तमां नित्य ध्यावे. ते नरा दिव्य बहु काल सुख अनुभवी, नियत आनंदघन राज पावे. .........................धार.७.
श्री अनंतनाथ स्तवन अनन्त जिनेश्वर नाथने, वन्दतां पाप पलायरे; रवि आगळ तम शुं? रहे, प्रभु भजे मोह विलायरे. अनन्त० १
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