________________
૧૨
फासिंदियणिग्गहे (६७) कोहविजए (६८) माणविजए (६९) मायाविजए (७०) लोहविजए (७१) पेज्जदोसमिच्छादंसणविजए (७२) सेलेसी (७३) अकम्मया । शार्थ ने भावार्थ :- तस्स ते सम्य पराम्भ नामना अध्ययनना, अयं अट्ठे खा ७३ जोस, (आराधनाओो) एवं = खरीते आहिज्जइ = डी छे तं जहा = ४भडे
=
=
શ્રી ઉત્તરાધ્યયન સૂત્ર–૨
=
(१) संवेगे = संवेग (२) णिव्वेए-निर्के (३) धम्मसद्धा = धर्मश्रद्धा (४) गुरुसाहम्मियसुस्सूसणया = गुरु अने साधर्मिोनी सेवा शुश्रूषा (५) आलोयणया = आसोयना (६) जिंदणया = स्वघोष निंधा (७) गरहणया = गर्डा (८) सामाइए सामायि४ (९) चउव्वीसत्थए यतुर्विंशति-स्तव, योवीस तीर्थपुरोनी स्तुति (१०) वंदणे = वं६ए॥ (११) पडिक्कमणे = प्रति भए। (१२) काउस्सग्गे • अयोत्सर्ग (१३) पच्चक्खाणे = प्रत्याण्यान (१४) थवथुइमंगले = स्तव स्तुति मंगल (१५) कालपडिलेहणया = अण प्रतिसेना (१६) पायच्छित्तकरणे = प्रायश्चित्त २७ (१७) खमावणया = क्षमापना (१८) सज्झाए स्वाध्याय (१९) वायणया = वायना (२०) पडिपुच्छणया प्रतिपृच्छना (प्रश्नोत्तर) (२१) परियट्टणया परिवर्तना (२२) अणुप्पेहा = अनुप्रेक्षा (२३) धम्मकहा = धर्म था (२४) सुयस्स आराहणया श्रुतनी आराधना (२५) एगग्गमणसण्णिवेसणया = खेडा भन सन्निवेशता भननी अग्रता (२६) संजमे संयम (२७) तवे तप ( २८ ) वोदाणे = व्यवद्वान, डर्मोनी निर्भरा (२९) सुहसाए = सुमशाता, वैषयिङ सुपोथी निवृत्ति (३०) अप्पडिबद्धया = अप्रतिषद्धता (३१) विवित्तसयणासणसेवणया = विवित शयन आसन सेवन, स्त्री पशु पंड रहित स्थान आसननुं सेवन (३२) विणियट्टणया पापडभोथी निवृत्त थवं (३३) संभोगपच्चक्खाणे = संभोग प्रत्याध्यान (३४) उवहिपच्चक्खाणे = उपधि प्रत्याण्यान (३५) आहारपच्चक्खाणे = आहार प्रत्याज्यान (३६) कसायपच्चक्खाणे - उषाय प्रत्याण्यान (३७) जोगपच्चक्खाणे - योग प्रत्याण्यान (३८) सरीरपच्चक्खाणे = शरीर प्रत्याण्यान (३९) सहायपच्चक्खाणे = सहाय प्रत्याण्यान (४०) भत्त पच्चक्खाणे = भक्त प्रत्याख्यान, संथारो ४२वो ( ४१ ) सब्भावपच्चक्खाणे
=
=
=
=
=
=
सहभाव प्रत्यायान (४२) पडिरूवणया प्रति३पता, वेश अने भावनी खेड ३पता (४३) वेयावच्चे = वैयावृत्त्य, सेवा (४४) सव्वगुणसंपण्णया सर्वगुण संपन्नता (४५) वीयरागया - वीतरागता (४६) खंती = क्षमा (४७) मुत्ती निर्दोलिता (४८) अज्जवे = आव, सरणता (४९) मद्दवे = भाव, मृहुता, नम्रता (५०) भावसच्चे = (भावसत्य (५१) करणसच्चे = सत्य (५२ ) जोगसच्चे = योगसत्य (५३) मणगुत्तया मनगुप्ति (५४) वयगुत्तया = वयनगुप्ति (५५) कायगुत्तया = डायगुप्ति (५६) मणसमाधारणया = मनःसभाधारणता (५७) वयसमाधारणया = वयन सभाधारएाता (५८) कायसमाधारणया = डाय सभाधारणता (५९) णाणसंपण्णया = ज्ञानसंपन्नता (६०) दंसणसंपण्णया = हर्शन संपन्नता (६१) चरित्तसंपण्णया = यारित्र संपन्नता (६२) सोइंदियणिग्गहे श्रोतेन्द्रिय निग्रह (६३) चक्खिंदिय णिग्गहे = यक्षुर्हन्द्रिय निग्रह (६४) घाणिंदियणिग्गहे = घ्राणेन्द्रिय निग्रह (६५) जिब्भिदियणिग्गहे = विह्वेन्द्रिय निग्रह (६६) फासिंदियणिग्गहे = स्पर्शेन्द्रिय निग्रह (६७) कोहविजए - ६ वि४य (६८) माणविजए = भान वि४य (६९) माया विजए भाया वि४य (७०) लोभविजए = सोभ वि४य (७१) पेज्जदोसमिच्छादंसण विजए = राग-द्वेष, मिथ्यादर्शन विनय (७२) सेलेसी = शैसेषी अवस्था (७३) अकम्मया = अर्भता, दुर्भरहित अवस्था. [ आ 93 जोसनुं मशः वर्शन छे. ]
=
=
=