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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ___www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir + खुशी की बात स्नेहपध्म विगत कई वर्षों से मैं प्रतीक्षारत था, राष्ट्रसंत आचार्य गुरूमहाराज श्री पध्मसागरसूरीस्वरजी महाराज के अंतर की भावना पूर्ण हो । एक ऐसे क्षेत्र का निर्माण हो जहां पर ध्यान/ज्ञानकेन्द्र (जिनबिंब-जिना गम) के प्यासे भक्तजन आकर आलोट सके अनंत समुद्रों के जलबिन्दुओं की तरह अनंत करूणा के भंडार विस्व वत्सल भगवान महावीर प्रभु की मंगल प्रतिष्ठा श्री महावीर आराधना केन्द्र कोबा में दिनांक १२-२-८७ को होने जा रही है बड़ी खुशी की बातों का स्पर्श पा रहा हूँ कि परमश्रद्धेय परम पूज्यपाद आचार्य श्री पध्मसागर सूरीस्वरजी महाराज की भावना पूर्ण होने जा रही है प्रभु महावीर स्वामी जब मिले गौतम प्रभुको (गणधर भगवन्तो को) तब खुशी का ठिकाना नही रह पाया था । निर्मलता-निष्कपटता से भरी वात्सल्यपूर्ण वाणी ने जादूसा काम किया. । अहंकार क्षणभर में चूर-चूर हो गया, ज्ञान वात्सल्य का आधार इसमें धरा है. आचार्य श्री कैलाससागरसूरीस्वरजी महाराज प्रशान्त भूर्ति थे-उनके चरणरजों से जिनके हृदयकमल विकसित हुए हैं वैसे आचार्य श्री पध्मसागरसूरीस्वरजी महराज जिनके मिलने से अब दुनियाभर के विद्वान जैनदर्शन के तत्वों के जिज्ञासु अपने सारे संशय दूर करेंगे यहाँ आचार्य श्री कैलाससागरसूरीस्वरजी जैन ज्ञान मन्दिर, कोबा में आकर बहुमूलयवान प्राचीन ताड़पत्र हस्तप्रतें रत्नमयी मूर्तियाँ, वस्तुएँ तथा हर विषयों के संशोधन के लिए आधार पायेंगे। यहां पर ज्ञानकी प्याऊ का निर्माण एकैक ईंट को दुनियभर से एकत्रित करके आचार्य श्री पध्मसागरसूरिस्वरजीने स्वयं ने किया है. युगों तक अनेक जन इस प्याऊँ पर आकर शीतलता की आहलादकता झेलकर अज्ञान-मोह के घेरे को तोड़कर यह गा उठेंगें "प्रभु तारा जेवू मारे थाq छे. । “प्रभु तेरे जैसा मुझे बनमा है ।" युगों तक ऋणी रहेंगे हम सब आपके For Private And Personal Use Only
SR No.008738
Book TitleSanshay Sab Door Bhaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages105
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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