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५३. श्री-गणेश व्यवहार में किसी शुभ कार्य के प्रारम्भ में लोग जिनकी वन्दना करते हैं, श्री गणेशाय नमः उन गणेश का उदर बहुत बड़ा है । यह बताता है कि जो गण के स्वामी हैं, समुदाय के नेता हैं, देशनेता हैं, जिनको वडील बनना है, उनका पेट दुनिया की बातों को हजम कर सके उतना विशाल सागर जैसा होना चाहिए।
गणेश की आँखें छोटी हैं, जो बताती हैं कि जो गण का नेता होता है उसकी दृष्टि सूक्ष्म होनी चाहिए । हर एक बात को सूक्ष्म दृष्टि से देखना चाहिए । इससे वस्तु में रहा हुआ रहस्य समझ में आता है । आत्मा और परमात्मा का विचार करने के लिए सूक्ष्म द्दष्टि की ही आवश्यकता है।
गणेश के कान बड़े हैं, अर्थात् जो देश का नेता अथवा या कुटुंब का मुखिया हो, उसके कान बड़े होने चाहिए जिससे कि सब की बातों को सुनकर जो योग्य हो, वही वह अपनाये ।
गणेश की नाक लंबी है, इसका अर्थ यह हुआ कि उसे चारों ओर सूंघ-सूंघ कर अच्छी वस्तु को अपना लेना चाहिए । बड़े लोग अच्छाई को अपनाते हैं और निकम्मी
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