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३७. सुख जो सुख भौतिक साधनों से प्राप्त नहीं होता, वह सुख आत्मिक साधनों से प्राप्त होता है । भौतिक सुख से परलोक बिगड़ जाता है, जबकि साधना से परलोक सुधर जाता है । सुख बाहर नहीं, आत्मा में ही है । भौतिक सुख जड़ है, आत्मिक सुख चैतन्यमय
है ।
सुख जड़ पदार्थों में नहीं, आत्मा में है । सुख कोई दे नहीं सकता, उसे तो अपने आप ही प्राप्त करना है । भगवान सुख नहीं दे सकते । भगवान का समागम चंडकौशिक नाग और जमाली दोनों को हुआ । नाग का उद्धार हो गया और जमाली डूब गया । भगवान की आज्ञा के अनुसार जीयेंगे तो तैर जायेंगे और सुखी होंगे।
स्वयं की निर्बलता को समझते हो, फिर भी उसमें से बाहर निकल सकते नहीं हो तो कोई बात नहीं, लेकिन हमें अपनी निर्बलता का भान अवश्य होना चाहिए ।
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