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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १ प्रबल फव्वारे की तरह उत्तम पुद्गलों को, फेंकती है । भावनाएँ यदि अमंगल हों तो कभी कोई कार्य सिद्ध नहीं होता । वस्त्रों के ऊपर अगर अच्छी छपाई करनी हो तो कपड़ा स्वच्छ और अच्छा होना चाहिए, उसी प्रकार मोक्ष प्राप्त करने के लिए मन को भी योग से धोना चाहिए । योग मन को स्वच्छ करता है। योग का प्रभाव अपूर्व है । वह कर्मों को जला देता है । योग से जिसका मन शुद्ध नहीं हुआ है, वह व्यक्ति पशु के समान जीवन बिताता है । योग के द्वारा मन, वचन और काया सुंदर एवं संस्कारीक बनते हैं । ज्ञान, दर्शन और चारित्र से मनुष्य का मन योग की ओर उन्मुख होता है। लेकिन बिना ज्ञान के योग व्यर्थ है । पर' में भटकते रहना बहुत ही आसान है, किंतु आत्मा का ज्ञान प्राप्त करना और उसी ज्ञान में रमण करना यह कठिन है । ३९ For Private And Personal Use Only
SR No.008736
Book TitleSamvada Ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year1990
Total Pages139
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size6 MB
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