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२३. आदर्श मनुष्य ___ आदर्श विशेषण है और मनुष्य विशेष्य है । किन्तु आज मनुष्य, मनुष्य का विश्वास नहीं करता है । वह शांति से बैठ भी नहीं सकता । वह बुरी आदतों के साथ जी रहा है । मनुष्य आज मनुष्य से जितना अधिक डरता है, पशु से उतना नहीं ।
मानव तो देवों की कोटि का है । यहाँ तक कि देवता भी मानव की मानवता को नमन करते हैं । हमें महापुरुषों के जीवन के जैसा जीवन जीने की इच्छा करनी है । अच्छे मनुष्य के लिए सबके मन में आदर और मान उत्पन्न होता है ।
सज्जन, संत, ज्ञानी महात्माओं के आदर्श समान होते हैं । भगवान महावीर के जीवन में त्याग की महत्ता है । सीताजी के पास सदाचार का अलंकार था ।
स्थितप्रज्ञ व्यक्ति जीवन को शाश्वत बना जाते हैं । छोटे प्रलोभनों में बिना अटके बहुत कुछ प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिए । परन्तु आज हम बिना किसी ध्येय के ही जीवन जी रहे हैं । संसार में ही आदर्श रखना चाहिए । आज हवा में तो मोक्ष की
बातें होती हैं और जीवन में हाहाकार होता है । र व्यक्ति का आदर्श जीवन किसी न
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