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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir iya ___१४. नवपद-अरिहंत, सिद्ध नवपदजी के चक्र के साथ मन को बाँधना चाहिए, जिससे वह इधर-उधर भटकना छोड़ दे । चक्रवर्ती छः खंडोंपर विजय प्राप्त करता है, जबकि सिद्धचक्र चौदह राजलोक पर विजयी बनता है । अरिहंत अठारह दोषों से रहित, आंतरिक शत्रुओं पर विजय प्राप्त करनेवाले, तीनों जगत को देखनेवाले हैं। ___ अरिहंत आकारवाले हैं, साकार हैं । सिद्ध निराकार हैं । सिद्धों का परिचय करानेवाले अरिहंत हैं । ग्रेविटेशन या गुरुत्वाकर्षण नया नहीं है । लेकिन उसका परिचय करानेवाले न्यूटन हैं, उसी प्रकार सिद्ध नये नहीं हैं, किंतु उनका परिचय करानेवाले अरिहंत हैं । अरिहंत भगवंत ताले की चाबी के समान हैं । ताले के खोलकर वे हमें धर्मरूपी खजाना देते हैं, इसलिए अरिहंतों का नाम प्रथम लिया जाता है । अरिहंत हमको अपनी आत्मा का ज्ञान कराते हैं । ज्ञान, दर्शन और चारित्र्य के दिलानेवाले अरिहंत हैं । सिद्ध अवस्था की प्राप्ति करानेवाले भी अरिहंत हैं । प्रत्यक्ष, उपमा और शास्त्रों के द्वारा, For Private And Personal Use Only
SR No.008736
Book TitleSamvada Ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year1990
Total Pages139
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size6 MB
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