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र पति को समताभाव रखने और उसे क्षमा कर देने का उपदेश देती है, क्रोध के लाल रंग को धोकर श्वेत बनाती है । इससे उसका पति शांत हो जाता है और मर कर देव बनता है।
प्रभात होने पर मदनरेखा गुरु का व्याख्यान सुनने जाती है । उसका देव पति भी अपने आंतरिक ज्ञान से वहाँ आ जाता है । व्याख्यान में वह प्रथम गुरु को नहीं, अपितु मदनरेखा को वंदन करता है, क्योंकि वही उसका उद्धार करने वाली थी ।
* * * * परिवर्तन संसार का नियम है । जिसे तुम
मृत्यु समझते हो, वही तो जीवन है । एक क्षण में करोड़ों के स्वामी बन जाते हो, दूसरे ही क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो । मेरा-तेरा, छोटा-बडा, अपना-पराया मन से मिटा दो, विचार से हटा दो फिर सब तुम्हारा है, तुम सबके हो ।
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