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अतीत में देखना व्यर्थ है. उसे क्या देखोगे ? क्योंकि वह स्वयं आपकी ओर देख रहा है और देख रहा है आपकी कृतियों को, आपके सृजन को अतीत को भूलकर वर्तमान को देखिये, जिससे अतीत फिर कभी आपकी ओर आँख उठाकर देख न सके. भविष्य वर्तमान से गुजरकर ही अतीत की ओर जाता है.
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