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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir की भव्यता को समेटे मुमुक्षु प्रेमचन्द 'मुनि पद्मसागरजी महाराज' के रूप में श्रद्धासम्पन्न लोगों के दिल -ओ - दिमाग पर छा गये. श्रमण - जीवन में आपको आचार्य देव श्री कैलाससागरसूरीश्वरजी म.सा. के विद्वान शिष्य आचार्य प्रवर श्री कल्याणसागरसूरीश्वरजी महाराज का महान शिष्यत्व मिला. अध्ययन ही एक लगन दीक्षा अंगीकार करने के बाद मुनि पद्मसागरजी श्रमण - जीवन को भीतर व बाहर से संवारने तथा आखिरकार उसे सार्थक बनाने के लिए समग्रता से लग गये. आचार्य श्री कैलाससागरसूरीश्वरजी के कुशल व सफल सान्निध्य में मुनि पद्मसागरजी ने सुन्दर अध्ययन के साथ - साथ साधु जीवन की आचार - मर्यादाओं को देखा, समझा और भलीभाँति उनकी परिपालना की मुनिजीवन के स्वल्प समय में ही पद्मसागरजी ने अपनी विरल प्रतिभा का परिचय दिया. कुशाग्र बुद्धि, तीव्र स्मरण - शक्ति और प्रखर प्रतिभा के धनी मुनि पद्मसागरजी केवल विद्या के क्षेत्र में ही नहीं, आध्यात्मिक जगत में भी तेजी से आगे बढ़े. धैर्य, समन्वय, मैत्री, करुणा, समता इत्यादि जीवन उन्नायक गुणों को भी आपने आत्मसात् कर लिया. विशेष कर अपने श्रद्धेय दादागुरु व गुरुदेव के प्रति आपका अद्भुत समर्पण - भाव रहा. For Private And Personal Use Only
SR No.008728
Book TitlePadmasagarsuriji Ek Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalsagar
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1991
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size2 MB
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