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उसे रोकना चाहिए । नवाब साहब का नशा एकदम उतर गया। ५१ हजार रूपिया डोनेशन दे के जूता वापिस लाया गया ।
जिधर सहनशीलता है वहां सिद्धि सिद्ध होती है ।
" नमो अरिहंताणम् | नमस्कार से हम अरिहंत को स्वीकार करते है।
मेरा विहार चल रहा था। रास्ते में एक जगह लोहे की फेक्टरी में ठहरने का प्रसंग आया। जिज्ञासा से मैं ने फेक्टरी को देखा । फेक्टरी में एक जगह बहुत ही हाथोडे पडे हुड़े थे। मैं ने मेनेजर से पूछा, "फेक्टरी में हाथोडे बनाओ जाते है क्या ?" मेनेजरने कहा “ नहीं महाराज से तो खराब हुऐ हाथोडे है। लोहा जब गरम किया जाता है तब उस को ऐरण के ऊपर रखा जाता है और ऊपर से हाथोडी से पीटा जाता है। हाथोडी खराब होती है, उसे फेंक दिया जाता है। जादा उपयोग करने में खतरा होता है। मैं ने पूछा "हाथोडे इतनी संख्या में खराब हुओ तो फिर ऐरण कितने खराब हुओ ? मेनेजरने कहा-"महाराज, ऐरण तो कई साल से एक ही है।"
आपने इस का आध्यात्मिक दृष्टिसे विचार किया ? पीटने वाला एक ना एक दिन फेंका जाता है लेकिन सहन करनेवाला ऐसे ही रहता हैं। प्रहार करनेवाला तूटता है। सहन करनेवाला सिद्ध बनता है।
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