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दो को नहीं। उसने सोचा कि पहला मूर्ख है और दूसरा स्वार्थी । तीसरे का उत्तर सन्तुलित है- बुद्धिमत्ता से परिपूर्ण है; इसलिए वही इस पद के लायक है।
मुहम्मदशाह और नादिरशाह में सन्धि हुई थी। उस समय दरबार में दोनों बादशाह अपने-अपने उचित आसन पर बैठे थे। नादिरशाहने अपने चाकर को हुक्का भर लाने का हुक्म दिया।
चाकरने हुक्का तैयार तो कर लिया; परन्तु वह विचार में पड़ गया कि हुक्का दोनों में से किसके सामने रक्खू; क्योंकि बड़े मुहम्मदशाह थे और चाकर वह नादिरशाह का था। मुहम्मदशाह के सामने रखने पर नौकरी चली जाती और नादिरशाह के सामने रखने पर बड़ी बेअदबी हो जाती !
एक मिनिट सोचकर आखिर उसने हुक्का नादिरशाह के सामने ही रख दिया।
नादिरशाह ने डाँटा : " यह कैसी बदतमीज़ी है ? हुक्का पहले आप (मुहम्मदशाह की ओर इशारा करते हुए) के सामने रखना चाहिये था या मेरे ?' ___चाकर : “हुजूर ! भरा हुक्का पेश करके मैंने तो हुक्म की तामील की है। रही सम्मान की बात, सो बड़ों का सम्मान बड़े ही कर सकते हैं। मैं क्या करूँ ?"
चाकर के इस चतुराईपूर्ण उत्तरसे दोनों बादशाह तो खुश हुए ही, सारे दरबारी भी चकित हो गये।
एक दिन बड़े मुल्लाने कुछ मित्रों को घर पर आमन्त्रित किया। सब लोग शाम को आने वाले थे। दोपहर को एक
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