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बाल्यकाल एवं शिक्षा
बालक काशीराम की परवरिश जन धर्म के आदर्श सुसंस्कारों के अनुरूप हुई । दो भाईयों और चार बहनों से हरे-भरे परिवार में जन्में काशीराम का व्यत्तित्व बाल्यकाल से ही अत्यंत प्रभावशाली था । वे पाटशाला और कोलेज में हमेशा प्रथम श्रेणि से ही उत्तीर्ण हुए । प्राथमिक शिक्षा स्थानिक पाठशाला में ग्रहण कर उच्च शिक्षण के लिए मोमानगर की दयानंद मथुरानंद कोलेज में भर्ती हुए और वहां से इन्टर पास करने के बाद प्रख्यात लाहौर युनिवर्सिटी की सनातन धर्म कोलेज से बी. ए. की परीक्षा में उत्तीर्ण होकर ओनर्स बने ।
बाल्यकालसे ही अत्यंत विनम्र और मृदुभाषी होने के कारण शिक्षण - जगत में काशीराम सबके प्रिय बन गए । आपके शिक्षक भी आपको सम्मान की दृष्टि से देखते थे। बी. ए. की परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद सनातन धर्म कोलेज में प्रोफेसर बनने का प्रस्ताव भी काशीराम के सामने आया, परन्तु उन्होने यह कार्य अपने योग्य न समझकर उसे नम्रता से अस्वीकार कर दिया ।
बंधन की बेड़ी
काशीराम के माता-पिता अत्यंत धार्मिक एवं सुसंस्कारी होने के कारण उनके गुणों का प्रभाव काशीराम पर भी पड़ा । शैशव से ही माता ने उनमें सुसंस्कारों का सिंचन
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