________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
जन्म कागज के फूलों में सौन्दर्य हो सकता है, पर मुगन्ध नहीं हो सकती । उनका सौन्दर्य हमारा दिल बहला सकता है, पर हमें सुगन्ध नहीं दे सकता । पूज्य गच्छाधिपति आचार्य श्री कैलाससागरमरीश्वरजी म. सा. भी इस संसार के उपवन में एक फूल थे, पर उनकी अपनी विशेषता थी । उनमें आत्मिक सौन्दर्य भी था और गुणों की सुवास भी । उनके आत्मिक सौन्दर्य और गुणों की सुगन्ध ने हजारों श्रद्धालुओं के जीवन को सुवासित किया, उन्हें महकावा ।
आचार्य श्री जहां भी गए, उनके गुणों की सुवास और निर्मल चारित्र ने लोगों को प्रभावित किया ।
पूज्य गच्छाधिपति आचार्य श्री कैलाससागरसूरीश्वरजी म. सा. का जन्म वि. सं. १९६०, मार्गशीर्ष वदि ६ दि. १९-१२-१९१३ शुक्रवार के शुभदिन पंजाब प्रान्त के टुधियाना जिले में स्थित जगरावाँ गाँव में हुआ था । आपके पिता का नाम श्रीरामकृष्णदासजी तथा माता का नाम रामरखीदेवी था । आपका नाम काशीराम रखा गया । धर्म से आप स्थानकवासी जैन थे ।
___ कहा जाता है कि काशीराम की जन्म कुंडली निकालने वाले एक विद्वान ज्योतिषी ने उनके पिता से कहा था कि आपका पुत्र आगे चलकर सम्राट बने, ऐसे उच्च ग्रयोग उसकी जन्म कुंडली में है । जो कहा था वही हुआ । काशीराम आगे चलकर सम्राट नहीं, बल्कि महान् धर्म सम्राट बने ।
www.kobatirth.org
For Private And Personal Use Only