________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
७०
जीवन दृष्टि कि हम अपने को देखें. दूसरों की अपेक्षा स्वयं को देखना कहीं अधिक अच्छा है.
पानी जितना स्वच्छ होगा, स्थिर होगा. आपका चेहरा उसमें उतना ही स्पष्ट दिख सकेगा. उसी प्रकार मन की चंचलता मिट जाने पर, चित्तवृत्तियों में ध्यान के द्वारा एकाग्रता आ जाने पर शुद्ध मन में शुद्ध चैतन्य के स्पष्ट दर्शन किये जा सकते हैं. मानसिक शुद्धि आवश्यक : मुश्किल यही है कि मानसिक शुद्धि के लिए हम कोई वास्तविक प्रयत्न नहीं करते. हमारे यहाँ बातें तो बहुत होती हैं. हर आदमी आत्मा-परमात्मा की चर्चा कर लेता है, परन्तु हमारी स्थिति कपड़ों की दुकान पर रखे लोहे के मीटर के समान हो गई है. हजारों व्यक्तियों को वह मीटर कपड़े नाप-नाप कर पहना चुका है. सैंकड़ों को श्वेताम्वर और सैंकड़ों को विचित्राम्बर बना चुका है, परन्तु यह स्वयं दिगम्बर रहता है, कपड़ों के थानों का एक इंच सूत भी इसके शरीर पर लगा हुआ नहीं मिलता. __ हमारी भी यही दशा है. मुँह से त्याग का, तप का, परमात्मा की साधना का, चर्चा का हजारों टन माल पैक कर देते हैं. सप्लाई कर देते हैं; परन्तु जब अपनी आत्मा को झांक कर देखते हैं तो साधना के एक सूत का टुकड़ा भी वहाँ नहीं मिलता.
बम्बई से लौटते समय मैं एक कालेज के अन्दर ठहरा. वहाँ देखा कि कुछ वच्चे मैदान में फुटबॉल खेल रहे थे. जहाँ भी वह बॉल जाकर गिरती थी, वहीं से उसे किक लगाई जा रही थी. ठोकर लगाई जा रही थी. किसी भी बच्चे के द्वारा उसे हाथ में उठाने का प्रयास नहीं किया जा रहा था. मैंने फुटबॉल से पूछा – “क्यों भाई! क्या हालत है? इतना अपमान क्यों हो रहा है आपका?"
वह बोला :- “महात्मान्! मेरे भीतर कुछ भी नहीं है. मैं केवल हवा से फूला हुआ हूँ. यही है मेरे अपमानित होने का कारण."
याद रखिये यदि हमारा जीवन भी धर्म से रहित होगा. साधना से शून्य होगा तो हमारी भी यही दशा होगी यदि संसार की हवा से (वासना से) हम फूले रहें तो चौरासी लाख जीवयोनियों में भटकना पड़ेगा. सब जगह अपमानित होना पड़ेगा.
एक बार मैं एक मन्दिर में गया, वहाँ आरती हो रही थी. नगारा बजाया जा रहा था. डंडे से पीटा जा रहा था. इस प्रकार निरन्तर पीटे जाने का कारण पूछने पर उसने बताया :-- "महाराज! मेरे भीतर पोल है. शून्य है, यही कारण है कि मैं पीटा जा रहा हूँ."
यदि व्यक्ति भी इसी प्रकार सदाचार से शून्य होगा तो यही शून्यता उसके लिए रुदन बन जायगी. जगह-जगह बार-बार कर्म के डंडे की पिटाई उसे खानी पड़ेगी.
For Private And Personal Use Only