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ध्यान और साधना छाया कर रहा है.
वे सोचने लगे कि मैं कहीं इन्द्रजाल तो नहीं देख रहा हूँ. जो दृश्य मुझे दिखाई दे रहा है, वह यथार्थ है या केवल मेरी दृष्टि का भ्रम है? आस-पास रहने वाले ऋषि-मुनियों से पूछने पर उन्हें उत्तर मिला – “जो दृश्य आपने देखा, वह यथार्थ ही है, कल्पित नहीं. अहिंसक ऋषिमुनियों के आश्रमों के चारों ओर एक ऐसा वर्तुल होता है, जिसमें सहज वैरी भी अपना वैर भूल कर परस्पर सहायता करने लग जाते हैं. यह उस पवित्र भूमि के वातावरण का प्रभाव है. उस प्रभाव से हिंसक क्रूर प्राणी भी प्रेमी और परोपकारी बन जाते हैं."
प्रभु महावीर जहाँ समवसरण करते थे, वहाँ भी ऐसा ही पवित्र वातावरण एक निश्चित सर्कल बन जाता था.
ध्यान और संकल्प शक्ति का प्रभाव : हमारे विचारों का दूसरों के हृदय पर कैसा क्या प्रभाव होता है - इसका वैज्ञानिक अध्ययन किया जा रहा है.
अमेरिका का एक व्यक्ति वहाँ न्यूयार्क के पार्क की एक बैंच पर बैठा हुआ था. उस पर लन्दन से लगभग पांच हजार मील की दूरी से एक प्रयोग किया गया. प्रयोग देखने वालों ने वायरलेस से लन्दन के उस व्यक्ति को सूचित कर दिया था कि यहाँ बेंच पर बैठे हुए उस व्यक्ति को ध्यान के प्रयोग से सुलाने का प्रयास किया जाय, लन्दन के व्यक्ति ने ध्यान और संकल्प शक्ति के द्वारा पांच मिनिट में उसे सुला दिया. अमेरिका में उन लोगों ने प्रत्यक्ष देखा, किन्तु साथ ही उन्होंने सोचा कि हो सकता है, बगीचे के शान्त वातावरण के कारण-शीतल, मन्द, सुगन्धित पवन के प्रभाव से सहज ही उसे निद्रा आ गई हो. संकल्प शक्ति का प्रभाव तो तब माना जाय, जब इसे (सोते हुए को) पुनः जगा दिया जाय.
फलस्वरूप वायरलेस से सम्पर्क साध कर पुनः सूचित किया गया कि उस सोते हुए व्यक्ति को अपने प्रयोग से जगा दीजिये. लन्दन स्थित व्यक्ति ने ध्यान और संकल्प शक्ति का पुनः प्रयोग किया. पांच ही मिनिट में बेंच पर बैठा व्यक्ति जागृत हो गया. प्रयोग देखने वालों ने उससे पूछा कि तुम कैसे अचानक सो गये और जाग भी गये. ___ उस व्यक्ति ने अपना अनुभव सुनाया कि कोई मुझे अन्दर से यह कह रहा था कि सो जाओसो जाओ; और मैंने यन्त्रवत् इस आदेश का पालन किया. मैं सो गया. थोड़ी ही देर बाद मेरे मन पर किसी ने शब्दों का प्रहार किया- उठो, उठो, उठकर बैठ जाओ. यह सुनते ही मैं उठ बैठा. आंख खुलते ही चारों ओर मैंने देखा कि आस-पास कोई व्यक्ति नहीं है, फिर किसने मुझे सोने और फिर जागने का आदेश दिया. मैं आश्चर्य से सोच ही रहा था कि आप लोगों ने समीप आकर मुझसे यह प्रश्न किया.
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