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जीवन में सदाचार
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[ जन्म, बुढापा, रोग और मृत्यु का दुःख है. अरे यह संसार कितना दुःखपूर्ण है, जहाँ प्राणी क्लेश पा रहे हैं . ]
इस संसार में सुखी वही हो सकता है, जिसका मन निर्मल है, जिसके विचार पवित्र है, जिसका आचरण उत्तम है,
आचार से ही पता चलता है कि किसी मनुष्य के विचार कैसे हैं; इसलिए आचार का जीवन में सबसे अधिक महत्व है. उसे प्रथम धर्म माना गया है :
आचारः प्रथमो धर्म ।।
जैन धर्म के ग्यारह उपलब्ध अंग- सूत्रों में सबसे पहले सूत्र का नाम ही " आचारांग सूत्र " है. सज्जनों का आचार सदाचार है और दुर्जनों का आचार, दुराचार. सदाचार सच्चा मित्र है और दुराचार दुश्मन. सदाचार जीवन का भूषण है, दुराचार दूषण, दुराचार से दूर रहकर आप सब सदाचार को अपनायें, यही कहना है.
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