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धर्म
धर्म क्या है?
आचार्य हरिभद्रसूरिजी महाराज ने धर्मविन्दु ग्रन्थ के द्वारा जीवन का एक प्रशस्त मार्ग दर्शन दिया. किस प्रकार की धर्म साधना मेरे उज्ज्वल भविष्य का निर्माण कर सके या किसी प्रकार की धर्म साधना परमात्मा को स्वीकार हो सके. या मैं किस प्रकार की धर्म साधना करुं जो मेरे अन्तर आत्मा में परमात्मा को प्रतिष्ठित कर सके. उस प्रकार की धर्म व्यवस्था इस ग्रन्थ में बतलाई गई है. - सामान्यतया अलग अलग प्रकार के रुपी पदार्थों का परमाणु धर्म कहलाता है. परन्तु आत्मा का मूल स्वभाव, आत्मा की प्राप्ति का परम साधन, जिसे हम धर्म कहते है. धर्म शब्द की परिभाषा को हम यदि अच्छी तरह समझ ले तो आगे जाकर कभी क्लेश का कारण नहीं बनेगा. धर्म का जन्म कहाँ पर होता है, इस पर हम विचार करेंगे. क्योंकि आज गृहस्थ लोगों के मन में ऐसी मान्यता है कि किसे धर्म कहना, किस प्रकार के धर्म को स्वीकार करना व धर्म है क्या? बहुत से चिन्तनशील व्यक्तियों के अन्दर यह प्रश्न उपस्थित होता है. सबसे सुन्दर धर्म कौन?
आइने - अकबरी में एक घटना का उल्लेख आता है, जिसे वादशाह अकबर के दरबार के नौ रत्नों में से एक प्रसिद्ध इतिहासकार अबुलफजल ने लिखा है. वादशाह अकबर के दरवार में आचार्य विजयहीरसूरिजी पधारे तो अकबर ने स्वयं आगे जाकर स्वागत किया और उचित आसन पर बिठाया. आचार्य की विद्वता से अकबर के दरबार के कई पण्डित, मौलवी घबराते थे. उन्होंने अकबर को सिखा दिया कि इनसे पूछा जाय कि संसार में सबसे सुन्दर धर्म कौन?
भरे दरवार में आचार्य विजयहीरसूरिजी महाराज से यह प्रश्न पूछा गया. आप जानते है कि इस प्रश्न का उत्तर क्या स्थिति लेकर आता? यह तो आप नहीं कह सकते कि मेरा धर्म सबसे ऊंचा है. क्या करे? बहुत ही सन्तुलित उत्तर देना था. आचार्य ने उत्तर दिया - राजन सबसे सुन्दर धर्म इस विश्व का जो है, उस की परिभाषा मैं आपको बतलाता हूँ. जहाँ पर जिस आत्मा की अन्तर आत्मा निर्मल हो, पवित्र हो, वही विश्व का सबसे बड़ा धर्म व सुन्दर धर्म है. “अन्तःकरण शुद्धित्वं इति धर्मत्वम्”.
अन्तःकरण की शुद्धि को ही हमारे यहाँ धर्म माना गया है. और जहाँ पर आत्मा की पवित्रता है, निर्मलता है वह धार्मिक कहलाने का अधिकारी है. आचार्य विजयहीरसूरिजी की विद्वता से अकबर बहुत ही प्रभावित हुआ और ससम्मान जगद्गुरू का विरूद प्रदान किया. इतना बड़ा धार्मिक विरूद आज तक किसी मुल्ला - मौलवी को भी नहीं दिया, तो यह बात पहले
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