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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आचार्य श्री पद्मसागरसूरि ३७ पैमाने पर नागरिक अभिनन्दन समारोह आयोजित किया था. तपो-भूमि ऋषिकेश के जिनमंदिर के प्रतिमाओं की अंजन विधि भी सम्पन्न हुई. यहाँ से आपने कोलकाता की ओर विहार करते हुए शौरीपुर तीर्थ में जिनमन्दिर परिसर में मूर्ति की प्रतिष्ठा कराई. वर्तमान चौबीसी के तेईस तीर्थंकरों के पावन कल्याणकों की जन्मदात्री उत्तर भारत की पावन भूमि के लगभग सभी प्रमुख तीर्थों की स्पर्शना करते हुए आपने सन् १९९५ का चातुर्मास कोलकाता (भवानीपुर) में किया. इस चातुर्मास के दौरान आपकी निश्रा में अनेकविध शासन प्रभावना के अनुमोदनीय कार्य सम्पन्न हुए. आपश्री के उपदेश से पार्श्व फाउण्डेशन की स्थापना हुई और साधर्मिक भक्ति हेतु बहोत बड़ा फंड एकत्रित हुआ जो अनेकों के लिए वरदान साबित हुआ. चातुर्मास के बाद हावड़ा में सर्व प्रथम जिनमन्दिर की भव्य अंजनशलाका- प्रतिष्ठा हुई एवं उपाश्रय भवन का निर्माण भी हुआ. ___ कोलकाता के चातुर्मास के पश्चात् पूज्य गुरुदेव ने विहार करके सम्मेतशिखर महातीर्थ में श्री भोमियाजी धर्मशाला में जिनबिम्बों की भव्य अंजनशलाका कराई. तीर्थ के समुचित विकास हेतु महत्वपूर्ण मार्गदर्शन करते हुए स्थानिक जनता में धर्म-जागरिका रूप प्रवचनों का सोता बहाया. गौतमस्वामी की जन्म स्थली कुण्डलपुर (नालंदा) तीर्थ भूमि के मन्दिर की प्रतिष्ठा जो कई सालों से आपकी निश्रा के बगैर नहीं हो पा रही थी वह भी महोत्सव पूर्वक सम्पन्न कर, वीरगंज होते हुए अत्यंत दुर्गम व भयावह पहाडी मार्ग से गुजरते हुए नेपाल की राजधानी काठमाण्डु में पदार्पण किया. सैकड़ों वर्षों के बाद प्रथम बार किसी जैनाचार्य का नेपाल की धरती पर यह आगमन था. वीरगंज में श्री महावीर जन्म कल्याणक पर्व को जैनों के चारों संप्रदायों एवं अग्रवाल तथा वैष्णव समाज ने साथ मिलकर मनाया. काठमाण्डु (कमल पोखरी) में आपकी निश्रा में श्री महावीरस्वामी जिनमन्दिर की इतिहास सर्जक भव्यातिभव्य प्रतिष्ठा हुई. इस महान् कार्य को साकार करना हर किसी का काम नहीं था. प्रौढ़ प्रतापी आचार्यश्री के दिव्य धर्म-साम्राज्य के प्रभाव से ही यह संभव हुआ. लोग For Private And Personal Use Only
SR No.008715
Book TitleJina Shashan Ke Samarth Unnayak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2001
Total Pages68
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size4 MB
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