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जिनशासन के समर्थ उन्नायक I am happy to know that Shri Padmasagarji who is known for his learned discourses on Jainism is being conferred Acharyapad on December 9. 1976 at Mehsana. Jainism has made a valuable contribution to the Indian culture and Philosophy. It played a noteble role in spreading the gospel of nonviolence and tolerance among men. Its inpact in Gujrat is distinctive and pervading. I wish the celebrations all
success.
-K.K. Viswanathan. (Governor of Gujarat) परम पूज्य पंन्यास श्री पद्मसागरजी महाराजे साधुपणानी निर्मल साधना करीने ज्ञान अने चारित्रनी जे सिद्धि मेळवी छे. एनां दर्शन एमना परिचयमां आवनार हरकोई व्यक्तिने सहजताथी थाय छे. आथी पण विशेष प्रभाव तो श्रोताजनो उपर तेमनी अलौकिक वाणी अने व्यक्तित्वथी भरपूर तेमनां मननीय व्याख्यानो द्वारा पडे छे. अने आ सांभलवानो ल्हावो जे कोईने मळे छे तेओ पोतानी जातने भाग्यशाळी माने छे...... आवा एक समर्थ ज्ञानी छतां नम्रता अने सरलताना उपासक मुनिवरने आचार्य पदवी अर्पण करवानो अवसर ए जैन शासनने माटे हर्ष अने गौरवनो प्रसंग छे. आचार्यपद प्रदान करवाना शुभ प्रसंगे वंदना साथे तेओने शतायु इच्छीए, एज भावना.
- श्रेणिक कस्तूरभाई लालभाई. * एमनी प्रेरक वाणी, सकल जगतना ज्ञान-विज्ञानना संदर्भमां जैन
धर्मना सनातन सिद्धान्तोने वाचा आपे छे. परिणामे भणेला-अभण सौने एमांथी मार्गदर्शन अने संतोष मले छे. आवा सम्यग्ज्ञान धरावता मुनिश्री गुजरातमां विहार करे छे ते गुजराती प्रजानुं हुं अहोभाग्य समजुं छु. ए अहोभाग्य दीर्घ काल टके तेवी परम कृपालु जिन प्रभुने हुं प्रार्थना करुं छु. पू. मुनिश्रीनी उपदेशवाणीनी अमृतगंगा अहोनिश वहेती रहो.
- ईश्वरभाई पटेल (गुजरात युनिवर्सिटीना वाईस-चान्सेलर)
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