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आचार्य श्री पद्मसागरसूरि पीता. आप भी किसी से कुछ भी माँगने में बड़ा संकोच अनुभव करते थे. यहाँ तक की दीक्षा के बाद कुछ समय तक मुनिवृत्ति हेतु गोचरी के लिए जाने में भी बड़ी कठिनाई होती थी. यह सच है कि आज आपकी सफल जीवन-यात्रा में झाँक कर देखने पर पता चलता है कि आपने अनगिनत संघ-भक्ति और शासन-प्रभावना के कार्य किये हैं एवं हजारों लाखों लोगों के नैतिक-सामाजिक उद्धार करके उनके सफल मार्गदर्शक रहे हैं. परन्तु आज तक अपने लिए किसी से कुछ भी माँगना यह आप के लिए दुष्कर कार्य है. आपके जीवन का यह असाधारण पहलू है.
माने पप्रस्वार.
संयमपथ पर सज्ज युवा मुनि
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