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(११) मुनि-दर्शन अर्थात् इलाचीपुत्र कथा
पाईं ई ई, ढींग-ढींग, ढम-ढम करते नट इलावर्द्धन नगर के चौक में वाँस खड़े करके खेल करने लगे।
नगर-जन देखने के लिए उमड़ पड़े हैं | धनदत्त सेठ का पुत्र इलाची भी देखने के लिए आया है।
नट रस्से पर चल रहा था, उसके हाथ में बाँस था। नीचे पाँवों में धुंघरु बाँध कर एक नटनी नृत्य कर रही थी और अन्य लोग 'एय भला-एय भला' कहकर वाँस पर नृत्य करने वाले को सावधान करते रहते थे।
इलाची पुत्र ने पाँवों में धुंधरु वाँधे नृत्य करती नट-पुत्री को देखा तो उसके नेत्र रीझ गये, नेत्रों को शीतलता प्राप्त हुई। लखपति के इस पुत्र को जिन गृहस्थों की कुलीन पुत्रियों में जो रूप प्रतीत नहीं हुआ था । वह रूप मैले-कुचैले वस्त्रों में नृत्य करती नटनी में दृष्टिगोचर हुआ । लोग रस्से पर नृत्य करते नट को देखने में तन्मय थे, जब इलाची
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लखपती-पुत्र इलाची को गृहस्थों की कुलीन पुत्रियों में जो रूप प्रतीत नहीं हुआ
वह रूप मैले कुचले वस्त्रों में नृत्य करती नटनी में दृष्टिगोचर हुआ.