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सनत्कुमार चक्रवर्ती
१७ कुमार अवस्था में पचास हजार वर्ष, माण्डलिकपन में पचास हजार वर्ष, दिग्विजय में दस हजार वर्प, चक्रवर्ती के रूप में नब्बे हजार वर्ष और व्रत में एक लाख वर्ष - इस प्रकार कुल तीन लाख वर्ष का आयुष्य पूर्ण करके सनत्कुमार चक्रवर्ती विश्व पर उपकार करके तीसरे देवलोक में गये ।
(त्रिपष्टि शलाका चरित्र से)
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अपने धंक से ही कुष्ट रोग दूर करने की शक्ति होते हुए भी सनत्कुमार राजर्षि
भाव-रोगों के प्रतिकार के लिए ही प्रयत्नशील है! धन्य राजर्षि!