________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
बिजली की तरह चमक कर कतई चले न जाना! मैं घनघोर अन्धकार में कुछ भी देख नहीं सकता और तुम्हारी आशा में | छलिया नींद भी नहीं आई ! अब तुम आकर चले न जाना ! मेरे सनम, चले न जाना !!
७०. यदि न देखा तो?
प्रभो नवकार !
यदि अब भी इस जीवन में तुम्हारे दर्शन न किये तो प्रायः मुझे यह बात कांटे की तरह चभती रहेगी कि में तुम्हारे दर्शन न कर सका। और इसे मैं अपने जीवन में कदापि भूल नहीं सकूँगा। साथ ही इसकी वेदना सोते-जागत, रात दिन मुझे निरंतर बेचैन करती रहेगी। संसार के बाजार में, मैं कितने ही दिन बिता चुका है। मेरे इन हाथों में धन-धान्य, राज्य-पाट ऋद्धि-सिद्धि कितनी ही बार आयीं और गयीं। फिर भी इससे भला क्या लाभ ?
और यह बात मन को सतत कसोटती ही रही कि
हे नवकार महान
For Private And Personal Use Only