________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
औषधियों में वह अमत सिंचता है, लय जन-मन में जीने की नयी वा शार उमंग और उत्साह जगाता है। किती प्रिय नवकार सौम्य आल्हादक!ी यह जीवन प्रिय मधुर और शीतल बनें निजात चंद्र अमीर या गरीब को, राजा या रंक को योगी या भोगी को, विद्वान या मूर्ख को।। सब को एक जैसा झिलमिलाता प्रकाश प्रदान कर स्नेह प्राप्त करता है, उसी प्रकार मैं भी स्नेह प्राप्त करूँ सब का किन्तु, . . . . कल्पतरु नवकार आप मिले तो सब कुछ मिला। आप फले तो सब कुछ फला।
५६. प्रसन्नता
प्राण सखा प्रियतम नवकार ! तुम तो मुझ पर प्रसन्न हो न ? क्यों कि तुम्हारी प्रसन्नता ही
मामी मेरे लिए सर्वस्व है। फिर भला दूसरों को प्रसन्न करने की क्या आवश्यकता? म राजन
हे नवकार महान
For Private And Personal Use Only