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५४. प्रहार
वीर नवकार ! मेरी यही एक प्रार्थना है कि तुम एक प्रहार करो, बस एक प्रहार मेरी विषय-वासना पर..... फलतः मेरे में प्रेम और शांति की अखंड ज्योति प्रकट हो जाएँ। जीवन की दीपिका जगमगा उठेगी सर्वशक्ति के साथ ! और सर्वत्र शांति एवं परमानंद के दीपक झिलमिलाने लगेंगे।
५५. कामना
अमृतवर्षी नवकार ! मेरी यह आखिरी कामना है कि मैं आनेवाले जन्म में चंद्र जैसा सौम्य बनें और स्नेह प्राप्त करूँ । चंद्र में सौम्यता है। आल्हादता है। प्रियता और मधुरता है। साथ ही है स्वर्गीय शीतलता।
हे नवकार महान
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