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सम्भव है...... अल्पावधि में ही उपस्थिति देने जाना पड़े। वहाँ के नियम कठोर हैं, काँटों से भरी हई सड़के हैं; किन्तु गये बिना कोई चारा नहीं और अपने बस की बात नहीं। और मैं जाने के लिए तैयार सर्वदा तैयार हूँ....
किन्तु
'किन्तु' का जवाब मुझे याद नहीं। मेरे जाने के बाद क्या होगा? यही चिन्ता सता रही है। प्रभो, सताये या न सताये ? लेकिन आपके अनमोल निमंत्रण को भला अस्वीकार कैसे करूँ। निःसंदेह तेरे पास आते ही कोई चिन्ता नहीं रहेगी प्रियतम प्रभो ! लो, मैं तुझसे मिलन हेतु सत्वशीला चन्द्र ज्योति में, सानन्द 'नई यात्रा' के लिए प्रयाण करता हूँ !!
हे नवकार महान
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