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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir फिर भी प्रस्तुत कृति 'हे नवकार महान' के माध्यम से मैंने अपने भावों को...चितन को 'घागर में सागर' भरने की तरह ही थोडा बहुत व्यक्त करने का प्रयास अवश्य किया है। श्री नवकार महामंत्र के विविध रूप-रंग और अलौकिक सौंदर्य का दर्शन-मनन मैंने प्रायः चितन के उन सर्वोत्तम क्षणों में किया है, जिसका वर्णन करने में मेरी लेखनी सक्षम न होने के उपरान्त भी जो भी व्यक्त किया गया है वह लोक-जागृति एवं मानव मात्र के लिए एकमात्र सम्बल...पाथेय सिद्ध होगा। इसी भावना के साथ 'हे नवकार महान' में प्रदर्शित विचार-धारा....चितन कणों को संजोकर प्रस्तुत करने का अल्प प्रयास किया है। श्री नवकार महामंत्र के सबध में समय-समय पर मैंने जो चिंतन किया....चितन को लिपिबद्ध किया; इसे सुन्दर रूप से संपादन एवं परिष्कृत करने का भगीरथ कार्य मेरे अनुरागी भाई रंजन परमार ने किया है। अतः वह धन्यवाद के पात्र है। -पद्मसागर For Private And Personal Use Only
SR No.008712
Book TitleHe Navkar Mahan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherPadmasagarsuriji
Publication Year
Total Pages126
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size9 MB
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