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क्यों कि उसमें स्नेह नहीं। और स्नेहविहीन दीप भला कैसे जगमगाएगाप्रज्वलित होगा? जीवन दीप बुझ जायेगा। फिर भी आशा दीप तो प्रकाशित ही रहेगा । साथ ही आशा दीप के स्नेह तेल से दूसरे जीवन दीप देदीप्यमान बने ही रहेंगे । इसमें भी नाथ आप मिलोगे इसलिए मेरा जीवन सार्थक ! चकि मेरे जीवन दीप से भी आशा दीप का स्नेह ज्यादा है। परन्तु इस का टिकना सर्वस्वी आप पर आश्रित है। आपके प्रति श्रद्धा यही मेरी आशा है।
और आपके प्रति का स्नेह यही मेरी ज्योति है। इस आशा ज्योति से जगमगाते प्रकाश में । मैं महाप्रयाण को स्वेच्छया स्वीकार रहा हूँ। प्रियतम नवकार ! आपका आशीर्वाद मुझे सफलता प्रदान करें।
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है नवकार महान
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