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यही तो मेरा पाथेय है, जीवन का सर्वस्व है। इसी श्रद्धा एवं विश्वास के बल पर मैं टिका रहा हूँ। मेरी जीवन यात्रा निर्विघ्न चल रही है। यदि अब मृत्यु बरण भी हो जाएँ तो परवाह नहीं। इसी क्षण आ जाएँ तो भी कोई खेद नहीं।
१६. मेरा वन्दन पधारो देव ! पधारो मृत्यु देव !!
आज मैं किस तरह आपका स्वागत करूँ? किस सामग्री से आपका स्वागत करूँ ? भला कौनसा अर्ध्य अर्पण करूँ ? आपका आगमन बिलकुल अकस्मात हुआ। न कोई समय, ना ही कोई बेला । यदि पहले ही सन्देश भिजवाया होता तो आपके स्वागत की अपूर्व तैयारी करता ।।
खैर,
QAORA
किन्तु दो दिन पूर्व तो सन्देशवाहक भेजना चाहिए था न ? ऐसा होता तो मैं और नवकार मिलकर कोई प्रबन्ध कोई आयोजन कर लेते।
हे नवकार महान
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