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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १. मंगल भावना www.kobatirth.org मैत्री भावका पवित्र झरना, शुभ होवे अखिल विश्व का, मेरे हृदय गुण से भरे गुणी जन देख कर, इन सन्तों के चरण कमल में, ऐसी भावना नित्य रहे । दीन, हीन, धर्म विहीनों को, करुणा संचित नेत्रों में से, मम हृदय नृत्य सर्वेऽपि सुखिन: सन्तु, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, हे नवकार महान मार्ग भूले जीवन पथिक को, मम जीवन का अर्ध्य रहे । देख दिल में दर्द रहे । अश्रुओं का शुभ स्रोत वहे ॥ मार्ग दिखाने खड़ा रहूँ । यदि करे उपेक्षा इस मारग की, में बहा करे । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करे । तो भी समता चित्त धरूं ॥ सर्वत्र सर्वे सुखिनो भवन्तु सर्वत्र सर्वे गुणिनो भवन्तु सर्वत्र सर्वे कृतिनो भवन्तु सर्वत्र सर्वे मितिनो भवन्तु सर्वे सन्तु निरामयाः । मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत् ॥ * For Private And Personal Use Only
SR No.008712
Book TitleHe Navkar Mahan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherPadmasagarsuriji
Publication Year
Total Pages126
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size9 MB
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