________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
मैं कोई रचना न रच सका, मेरे शब्द कविता को न पा सके ! केवल मेरे प्राणों में तेरे गीत गाने की व्याकुलता और उत्कटता भरी पडी है! आज ये आशा पुष्प खिले नहीं ! केवल हवा में झूलते रहे ! मैंने तेरे दर्शन नहीं किये ! तेरे शब्द भी नहीं सुने ! आप मेरे पास आ रहे हो.. केवल आशा की आहट सुनता रहा हूँ निशदिन ! आप मेरे मन मन्दिर तक आते हो और चले जाते हो! मैंने अपना सब कुछ मन मन्दिर की साफ सफाई में लगा दिया है ! मैंने अब तक दीपक भी नहीं जलाये हैं ! भला किस प्रकार बुलाऊँ ? मिलाप न हुआ ? परन्तु आप आओगे और मिलन होगा ! ऐसी उम्मीद और आशा अवश्य मेरे प्राणों में बस गयी हैं।
हे नवकार महान
For Private And Personal Use Only