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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गुरुवाणी: चली जाती है. भयंकर रोग इससे पैदा होते हैं. ज़रा विश्लेषण कीजिए. आगे मैं बहुत अच्छे तरीके से इसी का स्पष्टीकरण करूंगा और एक-एक सूत्र आगे बढ़ेंगे. इसमें तो हर बात बतलाई गई है. उपार्जन कैसे करना, विवाह कैसे करना, कैसे कुल में करना, कैसी मर्यादा से करना और कैसे मकान में रहना और कैसे घर में रहना, कैसी यात्रा करनी, कैसे भोजन करना, हर चीज़ इन सूत्रों में आएगी और आपकी सारी समस्याओं का समाधान इन्हीं सूत्रों से दिया जाएगा. बीमारी का कारण, असंतोष, और समाधि का कारण दर्द का कारण, ये सब चीजें मैं आपके सामने धीरे-धीरे स्पष्ट कर दूँगा. यह वैचारिक मार्गदर्शन आपको प्रवचन से मिल जायेगा फिर आप अपना इलाज स्वयं करने लग जायेंगे. “सर्वमंगलमांगल्यं सर्वकल्याणकारणम् प्रधानं सर्वधर्माणां जैनं जयति शासनम्” Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 事 चेक अथवा ड्राफ्ट में यदि कोई तकनीकी भूल हो तो बैंक उसे स्वीकार नहीं करती. उसे लौटा देती है. ठीक इसी प्रकार प्रार्थना में पश्चात्ताप न हो, संसार की याचना और वासना रूपी तकनीकी भूल हो तो वह भी अस्वीकृत होती है. ऐसी कितनी ही प्रार्थनाएँ आज तक लौट आई है, उन पर रिमार्क लगा है : "कृपया सुधार कर भेजिये ! 61 For Private And Personal Use Only 區
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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