________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
गुरुवाणी
समाधान संवाद से, विवाद से नहीं
on
-
-
परम कृपालु आचार्य श्री हरि भद्र सूरि जी महाराज ने धर्मबिन्दु ग्रन्थ के द्वारा आत्म धर्म के साथ जीवन के व्यवहार का भी धार्मिक दृष्टि कोण से परिचय दिया. जिस तरह अपने व्यवहार के द्वारा आत्म धर्म की उपासना हो, व्यवहार के माध्यम से भी मैं धर्म साधना करने वाला बनूं. मेरा सारा व्यवहार धर्म का व्यापार बन जाए. उस व्यापार से जगत को मेरे व्यवहार से, क्रिया से धर्म की प्रेरणा मिले इस प्रकार का मुझे सम्यक आचरण अपने जीवन से सक्रिय करना है.
जीवन के सम्पूर्ण व्यवहार का परिचय देकर, जो बड़े महत्व की बात उन्होंने बतलाई कि वाणी का व्यापार इस प्रकार का बनाया जाये, वाणी के व्यापार द्वारा भी व्यक्ति पुण्य लाभ को प्राप्त करने वाला बने, परन्तु उसके साथ
"प्रस्तावे मितभाषित्वम् अभिसंवादतम् तथा" जरूरत पड़ने पर अपने वार्तालाप में कोई ऐसा विषय नहीं आना चाहिए कि जिससे वह विवाद का कारण बन जाए और जीवन में संघर्ष पैदा करे. आध्यात्मिक तत्व का चिन्तन किया गया कि अपने अतशत्रुओं पर कैसे विजय प्राप्त किया जाये. वे अंतरंग जो हमारे प्रबल शत्रु हैं. उन शत्रुओं का दमन किस प्रकार से किया जाए?, उपाय और युक्ति द्वारा उस पर विचार करेंगे. सूत्रकार ने इस सूत्र का संकलन किया
“प्रस्तावे मितभाषित्वम्" जरूरत पड़ने पर जो कुछ भी वार्तालाप किया जाए, विचार विमर्श किया जाये उस विचार विमर्श से आत्मा को लक्ष्य से रखकर के उसमें विवाद न आ जाये. कोई चर्चा संघर्ष का कारण तभी होती है. जब विचार से विवाद का प्रवेश होगा तो जीवन का संघर्ष निश्चित होने वाला है. यहां संवाद चाहिए विवाद नहीं चाहिए. ___महावीर की भाषा में कहा गया मुझे संवाद चाहिए विवाद नहीं चाहिए. विवाद और संवाद में अन्तर इतना ही है, आपने देखा होगा, हिन्दी के अन्दर छत्तीस जो लिखा जाता है. वह विवाद का प्रतीक माना गया संवाद का प्रतीक आमने सामने : मुझे अपने जीवन में ३६ का आकार नहीं लेना, यहां तो ३६ का अंक बनता है. यदि अपना जीवन ६३ के अंक की तरह से बन जाये, आमने सामने उपस्थित हो जाये. संवाद का रूप ले लिया जाए तो विचार विमर्श आनन्द देने वाला, चित्त की प्रसन्नता. देने वाला बनेगा. संघर्ष का कारण कभी नहीं बनेगा.
राजनीतिक दृष्टि से आज तक जितने भी संघर्ष हुए इस विवाद के कारण हुए. हम ज्यादा तर समस्या की गहराई में नहीं जाते, समस्या के मूल कारणों पर हम विचार नहीं ,
॥
-
-
-
374
For Private And Personal Use Only