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गुरुवाणी:
अनुभव का हो. चिन्तन के बाद के बाद जो प्रश्न उपस्थित हुआ हो उसका समाधान प्राप्त करना सरल बन जाएगा. नहीं तो आपके आप स्वयं के प्रश्न उलझ जाएंगे. आपको उसके अन्दर से समाधान नहीं मिल पाएगा. आज इतना ही.
“सर्वमंगलमांगल्यं सर्वकल्याणकारणम् प्रधानं सर्वधर्माणां जैनं जयति शासनम् ”
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जीभ खतरनाक है. उससे सम्भलना जरा! अपने शरीर की संरचना को देखो. आँखें दो हैं, पर
उनका काम एक है: देखना. कान दो हैं, किन्तु उनका काम एक है: सुनना. नाक के छिद्र दो हैं, परन्तु उनका काम एक ही है : श्वास लेना. हाथ दो हैं, पर उनका काम एक है: वस्तु को स्थानान्तरित करना. पैर दो है, किन्तु उनका काम एक ही है: चलना. लेकिन
संयोग है कि जीभ एक है और उसके काम दो: ब्रॉडकास्टिंग (बोलना ) एण्ड फूड- सप्लाय (खाना). दोनों खतरनाक डिपार्टमेन्ट (विभाग) हैं. गलत बोलकर कर्म-बन्धन और गलत खाकर कर्म-बन्धन.
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