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-गुरुवाणी
तीन प्रश्नों का समाधान
परम कृपालु परमेश्वर ने सारे जगत के कल्याण के लिए, धर्म प्रवचन के द्वारा इस जगत को मार्ग-दर्शन दिया. किस प्रकार वर्तमान जीवन की उपस्थिति में मेरे सुन्दर भविष्य का निर्माण हो. वर्तमान के द्वारा भविष्य में स्वयं को पाने वाला बनूं मंगल भावना से यदि प्रवचन का पान किया जाए तो वह जरूर आत्मा के लिए उपयोगी और सफलता देने वाला बन सकता है. जीवन के अन्दर अनादि अनन्त काल से जिज्ञासा की प्यास है. हर व्यक्ति स्वयं को जानना चाहता है. हर व्यक्ति स्वयं को भी चाहता है. हर व्यक्ति जानना चाहता है कि मैं क्या हूं? कौन हूं.?
जानने की इच्छा तो हर व्यक्ति में हैं लेकिन पाने के लिए प्रयास का अभाव है. जिस दिन स्वयं को पाने के लिए प्रयत्न शुरु हो जाएगा, आज नहीं तो कल वह व्यक्ति उसको प्राप्त भी कर लेगा. सारा ही प्रवचन स्वयं को प्राप्त करने का मार्ग-दर्शन देने वाला है. जीवन के आदि-काल से आज तक का यह इतिहास है कि हमने कभी स्वयं को पाने का कोई प्रयास नहीं किया. हमारा प्रयास हमेशा बाहर से प्राप्त करने का रहा. अन्दर से कभी प्राप्त करने की जिज्ञासा, एवं प्रश्न आज तक उपस्थित नहीं हुआ.
प्रकृति का यह नियम है, यदि बाहर से आप संसार को प्राप्त करेंगे, उससे कभी आत्मा की पूर्णता मिलने वाली नहीं, बाहरी संसार से शून्य रहने वाला ही स्वयं को पा सकता है. बाहर से शून्य बन जाए तो अन्दर से सर्जन प्रारम्भ हो जाए. यदि व्यक्ति बाहर से पाने के लिए प्रयास करे, संसार को पाने के लिए यदि पुरुषार्थ करे, तो स्वयं के अन्दर में मात्र शून्य मिलेगा. फिर जिस प्रकार से हमारा परिभ्रमण चालू है. उसमें कोई पूर्ण विराम प्राप्त होने वाला नहीं. जीवन की इस गति में वह व्यक्ति कभी भी नियन्त्रण नहीं पा सकेगा.
कुछ न कुछ ऐसी शक्ति मुझे चाहिए जिससे आत्मा को गति मिले. चेतना को जागृति मिले, और आत्मा के विकास के अन्दर वे तत्व सहयोगी बनें.
इंजन आप देखते हैं, यदि डीजल न हो, तो रेल कभी चलती नहीं और इंजन निष्क्रिय पड़ा रहता है. आप की गाड़ी कितनी भी सुन्दर हो परन्तु यदि पेट्रोल नहीं हो तो उस गाड़ी में कभी भी गति नहीं आएगी.
घडी आपके पास में हो अगर सेल नहीं, अगर चाबी नहीं दी गयी, वह घड़ी कभी चलेगी नहीं. हर क्षेत्र के अन्दर उसके साथ में होना जरूरी है तब जाकर के वह लक्ष्य को बतलाने वाली बनती है, लक्ष्य तक पहुंचने वाली बनती है. जब जड़ पदार्थों को भी खुराक की जरूरत पड़ती हैं, शरीर चलाते हैं तो अनाज चाहिए, पानी चाहिए, बिना आहार के शरीर टिकता नहीं, तो फिर आत्मा के लिए भी कुछ खुराक होना जरूरी है.
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