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गुरुवाणी
हृदय में. चण्डकौशिक सर्प वहां पर निकला. चण्ड-शब्द का संस्कृत में अर्थ होता है भयकर. इसी दिन से उस सर्प को इस नाम से पुकारा गया. क्रोध का संस्कार लेकर के आया. साधु बना था, क्रोध नहीं गया, उसका यह परिणाम कि सर्प योनि में आना पड़ा. उस सर्प ने जैसे ही वहां देखा. इसका इतना बड़ा साहस, मेरे बिल के पास आकर के खडा है, फूकार मारा, जहर का प्रयोग किया. परमात्मा निश्चल थे. जहां प्रेम की मात्रा होगी. वहां जहर की कोई प्रतिक्रिया होने वाली नहीं. जहर का परमाणु भी रूपान्तित हो जाएगा. वह भी अमृत बन जाएगा. बहुत प्रचण्ड प्रतिकार की शक्ति प्रेम के परमाणु में है. ____ ध्यानस्थ रहे, जरा भी कोई प्रतिक्रिया गलत नहीं हुई. आखिर में चण्ड कौशिक सर्प ने विचार किया. यहां मेरा यह जहर असर नहीं करता तो मैं दंश दूं. दंश देने के लिए पांव में गया और जब डंक मारा. परमात्मा के उस चरण में से जहां खून निकलना चाहिए वहां से दूध की धारा निकलने लगी. ___चण्ड कौशिक विचार में पड़ गया. बड़ा आश्चर्य है! यहां तो रक्त की जगह दूध दिखने में आ रहा है. यह कोई बड़ा विचित्र व्यक्ति है. एक बार तो विचार में डूब गया. शान्त हुआ. शान्त होने पर परमात्मा ने कहा.
"बुझ-बुझ चण्ड कौशिक बौध प्राप्त कर बौध प्राप्तकर अपनी पूर्व की स्थिति पर जरा विचार कर. इतना सा ही जगाया. परमात्मा के शब्द क्या थे मन्त्र थे. मूर्छित आत्मा जग गई, जागृतात्मा बन गई. उसकी स्मृति जब पूर्व की स्मृति बन गई. जाति स्मरण ज्ञान उत्पन्न हुआ. साधु अवस्था की उस चर्चा को देखा. शिष्य के प्रति अपने क्रोध को देखा, मरकर के वापस बनें, वहां बच्चों के साथ क्या व्यवहार किया, वे सारी पूर्व की स्मृति उसमें जागृत हुई. किये हुए कार्यों को जब उन्होंने अपनी नजरों से देखा. घोर पश्चाताप उसके बाद उसने अपनी स्मृति का उपयोग परमात्मा के प्रति किया, तब मालूम पड़ा, ये तो तीर्थकर की आत्मा है. मैंने भंयकर अपराध किया है. यह सजा ऐसी भयंकर होगी भवान्तर में भी. इस सजा से मैं मुक्त बनने वाला नहीं, घोर अपराधी हूं.
परमात्मा के चरणों में नतमस्तक होकर के बिल में मुंह डाल दिया प्रतिज्ञा कर ली कि कभी आज के बाद अपना मुंह बाहर नहीं निकालूंगा. ताकि लोग भय से मुक्त बन जाएं. आहार का त्याग कर दिया. अनशन करके उपवास के द्वारा मरे शरीर को विसर्जित कर दूंगा. इस देह की जरूरत नहीं. बहुत पाप इस देह के द्वारा हुआ. कितने व्यक्तियों को मैंने खत्म कर दिया, अपने जहर से. अब यह पाप मुझे नहीं करना है. तिर्यक जैसे सर्प में भी यह विचार आ गया.
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